अभूतपूर्व कवि - पृष्ठ 6/7

इतने छोटे टमाटर देख कर,
कोई भी चुप कर जाता,
वो तो हम ही हैं जो कहे जा रहे हैं।
सरासर नाइंसाफी हो रही है,
फिर भी चुप रह कर सहे जा रहे हैं।

और फिर देखिए न, अभी कुल मिला कर,
पाव भर टमाटर तो मिले नहीं।
यदि आप सोचते हो कि,
इतने से टमाटर लेकर हम मान जायेंगे,
तो थोड़ी कविता और सुन लीजिए,
फिर हमें आप अवश्य जान जायेंगे।

लगता है मेरे शेरों में नहीं रहा दम है,
या फिर पता नहीं क्यों,
आज रिस्पॉन्स बड़ा कम है।
यदि आप यूँ ही,
ठण्डा रिस्पॉन्स दिखाते रहेंगे,
तो अच्छे कवियों को सुनने से, तो आप जाते रहेंगे।

इनकी नस्ल तो वैसे ही कम होती जा रही है,
सरकार दो के बाद, बस का, कानून बना रही है।
और पहले ही राउंड में, तो ये मिलते नहीं,

काफी पसीना बहाना पड़ता है,
पंजीरी और देसी घी खिलाना पड़ता है,
तब कहीं जाकर भाग खुलते हैं,
मुझ से कवि इनाम में मिलते हैं।

और आप यहाँ दुर्व्यवहार कर रहे हैं,
बहुमूल्य हीरे का तिरस्कार कर रहे हैं।
यदि आप वाकई चाहते हैं,
कि मैं स्टेज से उतर जाऊँ,
और जल्दी से वापस लौट कर न आऊँ,
तो जाइए कहीं से, थोड़ी सब्ज़ी ले आइए।

यदि मैं इतने से टमाटर ले कर घर गया,
तो निश्चय ही लौटा दिया जाऊँगा,
या फिर श्रीमतीजी को स्वयं ही आना पड़ेगा,
एक-आध छंद, उन्हें ही सुनाना पड़ेगा।

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