मूँछ

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मूँछ
समृद्धि की द्योतक है, साहब आप की मूँछ
उतनी ही यह प्रतिभाशाली, जितनी स्वान की पूँछ
इस बात में ज़रा न शक है,
कि शक्ल आप की बनी इसी से रोचक है।

हल्का सा मुँह ऊपर कर,
कनखियों से तकते हो जब
इच्छा होती तब मेरी प्रबल,
तुम्हारी चोंचदार और नोकीली मूँछों को
दो मैं भी दे दूँ बल।

मैं नहीं जानता कैसे है
हाथ मेरा रुकने पाता,
इसीलिए रुक देर तक तुमसे मैं
बात भी नहीं कर पाता।

जिन मूँछों को छूने को,
हम भी हैं लालायित रहते,
उनका बिल्कुल ध्यान भूला कर
तुम कैसे काम में उलझे रहते?

किया बहुत है तर्क इस पर,
फिर ही है निष्कर्ष निकाला,
मूँछ सराहे बिना नहीं
रह सकता मूँछों वाला।

मूँछों को देने ताव, सराहने,
तुम बाथरूम बार बार जाते होगे।
खड़े आईना तकते रहते,
बल पर बल चढ़ाते होगे।

तभी मात्र पत्र डायरी करवाने,
हम जब भी हैं आते,
आधे घंटे बाद आओ,
ऐसा कह कर तुम छुटकारा पाते।

करते हो उपयोग समय यदि,
तुम मूँछों को सहलाने को,
माइंड नहीं करेंगे हम,
कहो चाहे दो घंटे बाद आने को।

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