मूँछ

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कैसे होंगे प्रसन्न भला हम,
तुम्हें कैसे अब समझाए।
तुम रहो व्यस्त काम में,
और मूँछों के बल खुल जाए।

मेरी मानो तो काम से कर लो बिल्कुल किनारा,
"कम टुमौरो ही कह दिया करो,
और मूँछ मरोड़ा करो दिन सारा।"

देते हैं हम राय एक,
और अधिक दिन न टालो,
कैसे भी कर के,
मूछों का बीमा ही करवा डालो।

नहीं सोच सकते,
उस दिन क्या होगा हाय,
तुम रहो पड़े खर्राटे भरते,
और मूँछ काट चूहा ले जाए।

चंद्र ग्रहण की दशा लिए,
तुम कैसे दफ्तर आओगे?
किस किस की निगाह से बचोगे,
किस किस को समझाओगे।

या ले लो बैंक का लॉकर,
असली माल रख दो, लॉक कर,
और नकली कोई मूँछ लगा लो,
शोभा की शोभा रहो खटते,
और असली माल लुटने से बचा लो।

न टैन्शन, न बेचैनी, न तनाव,
कहो क्या पसंद आया सुझाव?
मूँछ असली है, रहती बढ़ती,
रख रखाव है करनी पड़ती ।

नकली कोई मूँछ लगालो,
रख रखाव से मुक्ति पा लो।

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