मेरी हिन्दी कविताएँ

झलकियाँ

Aam Nahin Hai Yeh Rishta Hamara Page 1

आम नहीं है यह रिश्ता हमारा पृष्ठ- 1 आम नहीं हा यह रिश्ता हमारा । मैंने कहा जानती हो तुम भी तो, कि आम नहीं

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Hari Shawl Odhe

हरी शॉल ओढ़े पृष्ठ- 1 “मेरे लिए तो ज़िन्दगी उसी दिन ठहर गई थी तुम मुझे छोड़ के जिस दिन, जिस पहर गई थी। अब

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Grihasth Ashram Page 1

गृहस्थ आश्रम पृष्ठ 1/20 अध्याय 1 – बीवी को पत्र तुम जब से गई हो मायके मेरी प्रेरणा भी चली गई है, मुझसे तो मेरी

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Allergy Test Page 1

एलर्जी टेस्ट पृष्ठ 1/3 मुझसे बोली मेरी बीवीसुनो कहता है डॉक्टर,कि मुझको है एलर्जी   मैं चौंका, चकरायाबोला, पति-पत्नी के झगड़े में,ये साला डॉक्टर कहाँ

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Moonchh Page 1

मूँछ पृष्ठ 1/4 मूँछ समृद्धि की द्योतक है, साहब आप की मूँछ उतनी ही यह प्रतिभाशाली, जितनी स्वान की पूँछ इस बात में ज़रा न

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Abhootpoorv Kavi Page 1

अभूतपूर्व कवि पृष्ठ 1/7 जब मेरी कविता कहने की बारी आई, काफी लोग घर जा चुके थे। जो कुर्सियों पर अटके थे, सुस्ता चुके थे।

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चाय की दुकान

जब मेरी कविता एक अखबार में छपी,

प्रेस रेपोरटर्ज़ ( पत्रकार) घर आने लगे,

सुबह शाम घर के चक्कर लगाने लगे ।

पहले-पहल तो मैं फूल न समाता ।

साक्षात्कार के लिए झट बैठ जाता

उन्हें बैठक में बैठाता, चाय पिलाता ।

इंपोर्टेड सिगरेट पीने को देता,

बीवी बच्चों से भी मिलवाता ।

कभी-कबार कुछ और भी हो जाता,

एक-आध ह्विस्की  का दौर भी हो जाता ।

नयनों में ख्वाब भरे हैं

नयनों में ख्वाब भरे हैं

नींद कहाँ से आए

वह जिसके ख्वाब हैं सारे

कभी आकर तो समझाए

बंद करती हूँ आँखें

घबरा फिर खोलती हूँ हाय

वह जिसके ख्वाब हैं सारे

कहीं आकर चला न जाए

काफ़ी है, हाँ काफी है

 बहुत है पर काफी नहीं है

काफ़ी है, हाँ काफी है

कहा करती थी मेरी माँ

पापा जो थोड़ा कमाते थे उसमें

दो वे और चार हम बच्चे, भर पेट खाते थे

और कोई भिखारी जब द्वार पर कभी आता था

तो कोई कपड़ा, लत्ता, या कटोरा भर चावल, आटा

या पैसा, आना, ही सही, पर खाली हाथ नहीं जाता था