Grihasth Ashram Page 1

गृहस्थ आश्रम

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अध्याय 1 - बीवी को पत्र

तुम जब से गई हो मायके मेरी प्रेरणा भी चली गई है,
मुझसे तो मेरी कविता, रूठ ही गई है।

बैठा रहता हूँ दिन भर, सोचता रहता हूँ।
एकांत में

Allergy Test Page 1

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मुझसे बोली मेरी बीवी
सुनो कहता है डॉक्टर,
कि मुझको है एलर्जी

 

मैं चौंका, चकराया
बोला, पति-पत्नी के झगड़े में,
ये साला डॉक्टर कहाँ से टपक आया।

 

मैंने कहा, अब इन छुट-पुट झगड़ों में
तुम जा

Moonchh Page 1

मूँछ

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मूँछ
समृद्धि की द्योतक है, साहब आप की मूँछ
उतनी ही यह प्रतिभाशाली, जितनी स्वान की पूँछ
इस बात में ज़रा न शक है,
कि शक्ल आप की बनी इसी से रोचक है।

हल्का सा मुँह ऊपर

Abhootpoorv Kavi Page 1

अभूतपूर्व कवि

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जब मेरी कविता कहने की बारी आई,

काफी लोग घर जा चुके थे।

जो कुर्सियों पर अटके थे, सुस्ता चुके थे।

 

नींद मुझे भी थी आई,

मैंने ली एक जम्हाई, और कहा,

मेरे जागते और

Waiter Miyaan

वेटर मियाँ

शादी के कुछ दिन बाद हिम्मत कर
मैंने कहा अपनी पत्नी से –
आज फिर हो जाए कुछ खाना…
वो लजाई, थोड़ा मुस्कुराई, फिर बोली –
“फिल्मी कि ग़ैर-फिल्मी?”

उत्तर से मैं चौंका,
फिर भी शॉक को दबाए